First draft of my writings
कोई शायर अनजाने ही आये
किसी तोहफे कि तरह
किसी नज़्म को एक सफ्हे पे लिखकर
बहुत संभाल के रखकर भूल गया हो जैसे ।
तेरा मेरा रिश्ता भी
ऐसे ही रह जाये कहीं भुला हुआ,
न तू उसे ढूंढे
न मैं फिर से उसे याद करूँ ।
I've read this one a lot of times and will continue to do so...i guess these lines make it timeless:न तू उसे ढूंढेन मैं फिर से उसे याद करूँ
I've read this one a lot of times and will continue to do so...i guess these lines make it timeless:
ReplyDeleteन तू उसे ढूंढे
न मैं फिर से उसे याद करूँ