Sunday 7 March 2010

हम

नाम सुना होगा पहले,
कोई चेहरा भी
ख्यालों के कैनवास पर उतारा होगा,
तस्वीर जब देखी होगी
या तो मायूस होगी
या ही मुस्काया होगा ।

जब आवाज़ सुनी थी पहली बार
जाने कैसे कैसे उन शब्दों को कहते हुए
मेरा चेहरा, मेरे हाथ, मेरी हँसी,
मेरे होंठ, मेरा एक - एक भाव
तुमने मेरे साथ महसूस किया होगा ।

लोगों से भी सुना,
जो मैंने किया या नहीं किया होगा ।
मेरी नज्मों को भी बार-बार पढ़ा होगा
और हर लाइन से मेरी पेंटिंग पूरी की होगी ।

मुझसे जब मिली,
तो मेरी जिस्म से ज्यादा
मेरी आखों में देखा होगा -
कहते है रूह का आईना होते हैं ।
मेरी बातों से ज्यादा
मेरी साँसों को सुना होगा ।
मेरा हाथ पकड़ कर मेरी धडकनों की
बेताबी को समझा होगा ।
मेरी मुस्कान में छिपे ग़म
और आसुओं में छलकती खुशी को भी ढूंढ निकला होगा ।

जाने तुमने क्या देखा
जाने तुमने क्या नहीं देखा होगा,
मुझसे मेरा पता पूछो तो
तुम्हारी कसम - मैं भी उतना ही बेखबर हूँ
पर जानना चाहती हो तो
ता-उम्र मेरे साथ 'हम' बनके रहना होगा ।

i don't know i guess the title isn't the best..pls suggest in comments

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