if only words were any good to express my emotions,
if only your eyes could see through when i was not near,
my restless heart's silent prayer if only you could hear,
if only my gentle touch conveyed my inner trepidations.
if only we exchanged hearts, could you feel the beats
if our respective conditions, god forbid; were switched
your nights would become sleepless and days lack colours
senses, mind and soul would immerse in thoughts of yours
if only you read my words as truth not poetry
if only you allowed your heart to beat rather than choke
if only you let yourself be drenched in love as such
could you understand what i feel for you and how much!!
Sunday, 17 January 2010
Saturday, 9 January 2010
untitles again - suggestions invited
लाल-पीले, भूरे-नीले, सफ़ेद-काले
कितने और घूंघट खोलूं मैं ?
क्यों ढूँढूं मैं वो नूर-सा चेहरा
हर-बार, बेकरार और बेबस
और क्यों हर-बार हूँ मायूस ?
जंगल के जंगल फांद लिए,
पांव-छिले, सांस-फूले, बदन टूटे,
रात-दिन, दौड़े-भागे,
कौन किस कस्तूरी कि तलाश में
और कहाँ-कहाँ ?
कितने देश, गाँव-शहर, बस्ती रहे कोई,
कितनों को करे अपने-पराये,
कितने जिस्मों ला लिबास पहने,
क्यों किसी का इंतज़ार करे कोई ।
घूंघट के पट तू क्या कभी खोलेगा ?
कस्तूरी को अपने सुगंध का पता मिलेगा ?
भटके राही को अपने घर का पता
और मुझे हर किसी में तू ही तू मिलेगा ?
कितने और घूंघट खोलूं मैं ?
क्यों ढूँढूं मैं वो नूर-सा चेहरा
हर-बार, बेकरार और बेबस
और क्यों हर-बार हूँ मायूस ?
जंगल के जंगल फांद लिए,
पांव-छिले, सांस-फूले, बदन टूटे,
रात-दिन, दौड़े-भागे,
कौन किस कस्तूरी कि तलाश में
और कहाँ-कहाँ ?
कितने देश, गाँव-शहर, बस्ती रहे कोई,
कितनों को करे अपने-पराये,
कितने जिस्मों ला लिबास पहने,
क्यों किसी का इंतज़ार करे कोई ।
घूंघट के पट तू क्या कभी खोलेगा ?
कस्तूरी को अपने सुगंध का पता मिलेगा ?
भटके राही को अपने घर का पता
और मुझे हर किसी में तू ही तू मिलेगा ?
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